ध्वजाभिवादन
Writen By: स्व० सालिक प्रसाद गुप्त
On: 1936
Place: बिहिया (बिहार)
Tags: A.B.M.V.S.
सभी लोगों का प्यारा हमारा आज अभ्युदय
मधुर शुचि दिव्य सारा है आज अभ्युदय
हमारे देश का प्यारा
हमारा जाति का तारा
सभी लोगो से न्यारा है हमारा आज अभ्युदय
ये देता है ज्ञान की शिछा
बहाता प्रेम की गंगा हमारा आज अभ्युदय
ये करता स्वास्थ्य की रछा
अविधा फूट को हरता है
हमारा संगठन करता
है भरता ज्योति जीवन का हमारा आज अभ्युदय
है बच्चो को भी प्यार यह
है वर्धो का दुलारा यह
है जीवन जन युवको का आज अभ्युदय
हमारे - वर डाली
युवको वर व्रन्दा डाली
खिला मन बालकों का यह पुष्प हमारा आज अभ्युदय
निशा का अचल ध्रुव तारा
उषा का हास्य म्रदु प्यारा
ये प्राची का है अरुड़ोदय हमारा आज अभ्युदय
रजत समशुभ्र है भक्ति
केसरिया रंग युवा शक्ति
अरुण अनुराग की धारा हमारा आज अभ्युदय
महासभा का ध्वज है | इसका परिमाप 3 लम्बा एवं 2 चौड़ा है रंग केशरिया है तथा मध्य में उगता हुआ सूर्य अंकित है जो जागरण कर्मशीलता समर्पण बलिदान एवं परगति का प्रटिक है इसी कारण सभी शुभ अवसरों पर इसका उत्तोलन सामूहिक करते हैं तथा ध्वज गान गाते है |
अर्थ - अभ्युदय मध्यदेशीय वैश्य (कंदु) समाज का अत्यंत प्रिय तथा शाश्वत सम्बन्ध स्थापित करने वाला ध्वज है यह समाज के समग्रः जन -मन का अतीव प्रिय ,परम दिव्य सुचिता का प्रतिक तथा नेसगिक शोभा की खानी है |
ये ध्वज हमारे जाति,समाज तथा देश-वासियों के सबसे प्रिय ,मूल्यवान एवं आंखोकी पुतलियो के सामान प्रकाशमान है |
यह ध्वज के प्रतेक फडकन से हमे शिक्षा मिलती है यह अज्ञानता से ज्ञान के प्रकाश में लाने का प्रयास करते है हमे स्वस्थ जीवनं की सिख देता है तथा हमारे अंत करण में प्रेम ,सदभावना ,सहिष्णुता तथा भ्रतिबकी मन्दाकिनी बहता है |
यह ध्वज समाज के अज्ञान के अंधकार को समाप्त करता है जन-जन में निहित वैमनस्य को नष्ट कर उसमे संगठन के भाव जगाता है यह हमारे जीवन में प्रकाश कि ऐसी नंदादीप जला देता है जो साश्वत प्रकाशित रहता है कभी बुझता नही है |
यह ध्वज समज के समग्र शिशुओ ,बालो ,युवाओ ,प्रोढ़ एवं वृद्ध नर-नारीओ का परम साध्य है | यह युवाओ में शक्ति का केंद्र तथा वृद्धओ के प्रेरणा का स्रोत है |
यह ध्वज ,रात्रि में अनंत रश्मियों से प्रकाशित होने वाले ध्रुव तारे के सदृश्य , अचुन्न्य ,शाश्वत एवं स्थिर है| यह प्रकृति की उष:कालीन लालिमा को अभिव्यक्त कर प्रसानता की अभिव्यक्ति करता है | इस्म्के फडकन से रक्त पीट संबलित आभा निसृत होकर दिव्या एवं सुहावनी होती है |
"अम्युदय ध्वज" के प्रति अनंत लोगो की स्नेह एवं भक्ति इसके प्रति श्रध्दा एवं वालिदान का परिचायक है यह ध्वज जन जन के अंत :करण में स्नेह ,श्रध्दा संगठन एवं शक्ति बनकर वैभव की ओर अग्रसर होने व उत्प्रेरणा जगता है |