बाबा गणीनाथ जी की आरती
ओम जय गणीनाथ देवा, ओम जय गणीनाथ देवा ||
पलटू गोविन्द ऋषि मुनि, ध्यावत गुरुदेवा ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
वेद ज्ञान के रवि तुम, ब्रहा ब्रहारसी द्रष्टा |
हम करते तेरो अर्चन, पावन युग स्त्रष्टा ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
कासायाम्बर अंगन, गल रुद्राक्ष साजै |
मस्तक तिलक सुशोभित, त्रिभुवन छवि छाजै ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
युगावतारी मनीषी, पलवईया वासी |
संत जनन गावै आरती, जय जय अविनाशी ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
सद्गुरु देव दयानिधि, मनसा शिवानंदन |
करुणा सागर तुम हो, करते पदवंदन ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
प्रेम की गंग बहाते, लहरे धर्मध्वजा |
सभी लोग अनुपम हो, तुम आजानू भुजा ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
संत शिरोमणी सद्गुरु, कृपादष्टि कर दो |
मानस मल को हरके, विमल भक्ति भर दो ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
धूप दीप श्रद्धा की, पान फूल मेवा |
भाव क भोग लगाऊ, जय सद्गुरु देवा ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....
प्रेम कीजोत जलाकर, जो आरती गावै |
कहत 'दास' सुख सम्पति, मनवान्छित पावै ||
ओम जय गणीनाथ देवा .....