श्री बद्रीनाथ साह

Posted By: अवधेश कुमार, अधिवक्ता, बद्रीनाथ साहित्य कला मंच, राघोपुर, वैशाली (बिहार)

On: 01-09-2022

Category: महत्वपूर्ण व्यक्ति

Tags: वैशाली

विधाता अपने विधान का, दिखाते जब अद्भुत कमाल।
अवतरित होते धरा धाम पर,बनकर स्वयं गुदरी के लाल।।


सच्चे कर्मयोगी, प्रकांड विद्वान, निश्छल हृदय, उदार व्यक्तित्व, शीतल, सौम्य, शालीन स्वभाव के धनी, हर नर में नारायण की सीख देने वाले, अभाव में भी निर्मल- निश्छल स्वभाव रखने वाले, (1) A Charming English Grammar and Translation,( 2) संस्कृत व्याकरण, (3) अध्यात्म चिंतन धारा एवं लगभग पांच हजार हिन्दी कविताओं के कवि स्वनामधन्य स्व बद्रीनाथ साह जिनका जन्म बिहार के वैशाली जिला के चतुर्दिक परम पावन गंगा से घीरे मनोरम गांव राघोपुर मेंं संस्कारिक मद्धेशीय वैश्य कूल मे दिनांक 08/01/1938 को हुआ था। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे श्री बद्रीनाथ साह आजीवन शिक्षा, साहित्य, समाज सेवा एवं स्वअध्ययन-अध्यापन से जुड़े रहे। बिना किसी भेद-भाव के हर जाति, हर वर्ग एवं हर समाज के शिक्षार्थियों को इन्होंने ज्ञान प्रदान किया। इनके द्वारा सुसंस्कारित हजारों हजार छात्र आज सम्मान जनक ओहदे पर देश, विदेश एवं प्रदेश के विभिन्न जिलों में आसीन हैं एवं गर्व करते हैं अपने इस गुरु पर, जिनसे गुरु की गरिमा भी गौरवान्वित होती है। श्री बद्रीनाथ साह रचित सैकड़ों कविताओं का प्रसारण आकाशवाणी पटना से हो चुका है। अनेकों पत्र पत्रिकाओं एवं दैनिक समाचार पत्रों में भी इनके कविताओं का प्रकाशन हो चुका है। इनके चाहने वालों एवं सुविज्ञ पाठकों के लिए श्री बद्रीनाथ साह रचित लगभग एक सौ कविताओं का संग्रह "अरुणोदय" अतिशीघ्र प्रकाशित होने जा रहा है।

अस्तु, ऐसे महान संत, "गुदरी के लाल "बद्रीनाथ साह जी" का आज दिनांक 31 अगस्त 2022को प्रथम पुण्यतिथि पर हम सहृदय श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

उनकी रचना की एक पंक्ति है -

गुणज्ञ बना सर्वज्ञ बना,पर अज्ञ बना जब त्याग नहीं।
यह जीवन व्यर्थ बना तब लौं,जब लौं तन में अनुराग नहीं।।


के साथ कोटि-कोटि चरण वंदन।

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