श्री कालीप्रसाद साव जी

Posted By: Hemraj Maddeshia

On: 18-07-2021

Category: महत्वपूर्ण व्यक्ति

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अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य महासभा की राज्य शाखा के लिए जब हम कुछ पदाधिकारी नई नई शाखाओं को खोलने के लिए नियम करके हर रविवार को नए स्थानों की खोज करने निकलते थे, तो हर पदाधिकारी में एक होड़-सी लगती कि अगले रविवार को हममें से कौन यह बताएगा कि उनके द्वारा बताए गए नए स्थान पर हमारे नए स्वजातीय बन्धु मिलेंगे और हम वहां पर अपनी शाखा खोलकर अपनी स्वजातीयता बढ़ायेगे ।

इसी सन्दर्भ में हमलोग एक बार सुने थे कि बिड़लापुर में अपनी बिरादरी रहती है, वहां पर जाने से हम नई शाखा का गठन कर सकेंगे । फिर क्या था, जैसा सोचना, वैसा करना । हमलोग गए और वहां के बन्धुओं से परिचय हुआ । हममें एक दुर्बलता तब भी थी और अबभी है, प्रान्तीयवाद की । हममें जितने भी संगठन से जुड़े, अधिकतर इसी आधार पर जुड़े । किसीका कोई रिश्तेदार है, जो इस क्षेत्र में रहते हैं फिर क्या था ? जिन बन्धु ने संधान दिया हम लोग उनके पीछे जुड़ गए और गन्तव्य स्थान पर पहुंचे और जब उन नए बन्धुओं में अपने को पाया तो हम उनके प्रेम और आकर्षित व्यवहार से गदगद हो गए ।

आप विश्वास नहीं करेंगे । हम जहां की अपनी टोली के साथ पहुंचे, उनकी खातिरदारी ने हमें भाव विभोर कर दिया । हमने नए क्षेत्रों के दौर में यह पाया कि हमारी जाति के लोग हरफन मौला हैं । जहां गए नई अभीज्ञता हुई । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारी जाति का जितना विशाल क्षेत्र है और उसके अनुपात में विभिन्न व्यवसायों में अपने को स्वजातीय बन्धुओं ने नियोग कर रखा है, मुझे नहीं लगता कि अन्य जाति के लोग इतने प्रकार के व्यवसाय अथवा नौकरी पेशा में नियोजित मिलेंगे । आप जिस क्षेत्र में जायेगे, आपको नई-नई अभिज्ञता मिलेगी । अब तो हम कहने मात्र को रह गए हैं कि हमारा मुख्य पेशा मिठाई का है । परन्तु समय के अनुसार हममें बदलाव आया है और हम अपने को बदलते जा रहे हैं ।

तो आइए आपको जिनके संदर्भ में बताने जा रहा था, उधर की ओर ले चलू । जैसाकि मैंने बताया है कि हमलोग नए क्षेत्रों की खोज किया करते थे । इसी खोज में बिडला के बन्धुओं ने ही बताया कि अपने कुछ स्वजातीय हैं, जो बजबज में रहते हैं, अच्छे व्यवसाई भी हैं और उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिला के रहने वाले हैं । फिर तो मेरी प्रान्तीयता वाली बात में सुडसुदी देनी शुरू कर दी, वह भी अपने निकटवर्ती जिला के हैं, जानकर ।

हममें एक ऋषिदेव जी गुप्त हैं, रहते हैं कोलकाता के ही बड़ा बाजार क्षेत्र में । अब तो उनकी उम्र 73-74 वर्ष हो गई है, उस समय बड़ा बाजार क्षेत्र की वही सचिव थे और उनकी पैठ बिरादरी में अत्यधिक अभी भी है । उनके साथ-साथ बजबज गए, तो वहीं पर काली बाबू के बड़े भाई स्वर्गीय माता प्रसाद जी से मिले ।

आप आठ भाई थे बड़े भाई भवानी प्रसाद साव जी और मझले भाई माता प्रसाद साव जी का देहावसान हो गया । अभी छ: भाई हैं । उस समय हमलोग माता बाबू जी से मिले और परिचय बढ़ा । परन्तु वहां पर हमलोग कोई शाखा खोल नहीं पाए और लगता है अभी की वर्तमान कार्यकारिणी की शाखा खोलने में सक्षम नहीं हो पाई है । पते की बात तो यह है कि उस बजबज क्षेत्र से ही माननीय जगन्नाथ जी को प्रान्तीय अध्यक्ष पद पर लाए गए हैं और माता प्रसाद जी के छठवे भाई काली प्रसाद साव जी सलाहकार समिति के चेयरमैन पद पर हैं । काली बाबू के एक भाई शीतल बाबू से भी मेरा परिचय है, जब उस समय बजबज जाया करता था, अक्सर यहां शीतल बाबू के जिम्मे आइन अदालत क कार्य सौपा गया था । माता बाबु से तो मेरी खासी दोस्ती हो गई थी । कारण इन भाइयों के कार्य बंटे थे, जिनमें विशेष रूप से सामाजिक कार्यों की देखरेख माता बाबू देखा करते थे, जिन कारणों से हममें किन्ही किन्ही अनुष्ठानों में मुलाकात हो ही जाया करती थी और हमलोगों के ऊपर तो पता नहीं कबसे धर्मशाला बनने का भूत सवार था ही । इस संदर्भ में तब भी चर्चाए हुआ करती थी और अभी भी हो रही हैं । इस विषय पर भी जब बैठके होती तो माता बाबू उपस्थित रहा करते थे । इस प्रकार हममे घनिष्ठता बढ़ती गई । आज हममें उनकी रिक्तता बड़ी ही खलती है ।

आज उन भाइयों में काली बाबू और शीतल बाबू का एक प्रतिष्ठित नाम अपने स्वजातीय बन्धुओं में है । उनका मुख्य रूप से टैंकर और ट्रक का व्यवसाय है जिसकी विशालता की कल्पना आप नहीं कर सकते हैं कि उनका प्रतिष्ठान कितना बड़ा आकार प्रकार में है ? आज कौन कहेगा यह मिठाई वंश है ! आपको यही बात बता रहा है ताकि आप यह मत भूलिए - हम आज से 100 साल पहले जिस अवस्था में थे, उससे हजार गुना उन्नत हैं और उन्नति के पथ पर बढ़ रहे हैं । हमारे शिक्षा का क्षेत्र भी अब पीछे नहीं रहा ।

काली बाबू के पिता श्री का नाम चौथी राम साव था । आप उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के कोइलसा बाजार के निवासी थे । घर से सन 1877 ई० में कोलकाता में आए तो सामान्य या जैसे भी हो व्यवसाय करना प्रारम्भ किया । बाद में आपने कोलकाता के ही विख्यात लोहा पट्टी, मानिक तल्ला के निकटवर्ती बाजार चलता बागान में लोहे की चादरों का व्यवसाय शुरू किया । प्रारम्भ में दुकान छोटी पूँजी से शुरू किया बाद में शनै: शनैः उन्नति करते गए । पिता-माता के धरोहर की स्मृति रूप में आज भी यह दुकान बन्द पड़ी रखी हुई है ।

कहावत है जब लक्ष्मी की कृपा होती है तो अपने आप सहयोग भी आ धमकता है । काली बाबू के पक्ष में भी यही संजोग आ धमका और सन 1970 ई० में बजबज में आकर आपके पिताश्री ने टैंकरों के व्यवसाव में अपने को नियोजित किया ।

बजबज में आकर टैंकर व्यवसाय में नियोजन सम्बन्धी जानकारी काली बाबू ने इस प्रकार से दी है -

जब परिवार में वंश-वृद्धि होती है तब भरण पोषण और निवास की आवश्यकता बढ़ जाती है । मेरी एक दादी का विवाह बजबज में हुआ है, जीजा जी उस समय विदेशी कम्पनी "वर्मा सेल" में कार्यरत थे और उन्होंने ही सबसे पहले निवास की पूर्ति के लिए पिताश्री को बजबज आने के लिए सुझाव दिया ।

बजबज आने पर हमसे बड़े भाई लोग होश सम्भाले और कुछ करने लायक हुए तो उस समय वर्मा सेल और ऐशों जैसी पेट्रोलियमजात की बड़ी कम्पनियों के डिपो खुल चुके थे । यहीं से तेल भरकर बाहरी क्षेत्रों में भेजने के लिए टैंकरों की डिमांड दिन-दिन बढ़ती देखकर हम भाइयों ने टैंकर बनाना और बेचने से लेकर तेल भरकर बाहर भेजने तक का काम पूरे जोर कदमों से शुरू कर दिया । इस प्रकार हमारी आर्थिक अवस्था में असम्भव बढ़ोतरी हुई ।

इसके बाद बजबज में चनाचूर की बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए हमने एक चनाचूर की फैक्ट्ररी बैठाई, उससे सम्बन्धित मांग बिस्कुट की बढ़ी तो अब हम बिस्कुट की फैक्ट्ररी "सम्राट" नाम देकर भी बैठा ली है ।

काली प्रसाद बाबू शान्त और गम्भीर प्रवृत्ति के हैं । आप 26 मार्च 1995 ई० को पश्चिम बंगाल राज्य शाखा के अध्यक्ष पद पर एक अवधि के लिए अध्यक्ष पद पर थे । आज की बदली परिस्थिति ने संगठन में पुनः आपके सद्गुणों को ध्यान में रखते हुए, एक प्रतिष्ठित सलाहकार समिति के चेयरमैन पद पर पदासीन किया है ।

अभी आपकी रुझान पहले की अपेक्षा संगठन के प्रति अधिक बढ़ी है और आप भी समय को पहचानते हुए विशेषकर स्वजातीय कार्यों में अपनी व्यस्ततम समय से कुछ समय बचाकर दे रहे हैं । यह परोक्ष रूप से देश सेवा का ही एक अंग है । हम भूल जाते हैं कि जिस प्रकार अपने परिवार के हर सुख सुविधा के लिए हर उपक्रमों की सहायता लिया करते हैं, ठीक उसी प्रकार यदि हर प्रतिष्ठित व्यक्ति अपने स्वजातीय का ही सही उन्नति की ओर ध्यान देता है तो वह अपने राष्ट्र को भी मजबूत बनाता है । यह बड़े ही गर्व की बात है ।

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