श्री देवीदास आर्य
Posted By: द्वारिका प्रसाद गुप्ता
On: 11-07-2021
Category: महत्वपूर्ण व्यक्ति
Tags: बड़वाह
अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा के 43 वें महाधिवेशन इन्दौर, मध्य प्रदेश के अवसर पर यदि हम भविष्य की ओर अपना ध्यान
केन्द्रित करते हैं तो उससे पूर्व हमें मध्य प्रदेश के भूत की ओर देखेगे तो उसकी जड़ में एक महान व्यक्तित्व का दर्शन श्री देवीदास जी आर्य
के रूप में दिखाई देगा । जिनकी आभा व मार्गदर्शन से प्रारंभ हुए मध्यदेशीय वैश्य सभा मध्य प्रदेश के सफर की शुरुआत वर्ष 1981 से प्रारम्भ
हुई जिसके कुशल नेतृत्व ने समाज की कई प्रतिभाओं को जिला एवं प्रांतीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया ।
इनकी छत्रछाया में समाज के रूढ़िवादिता को दफन कर समाज को नए आयाम तक पहुंचाया | प्रथम जिला अध्यक्ष से लेकर प्रांतीय
अध्यक्ष तक का सफर करने वाले श्री देवीदास आर्य जी के पिता श्री स्वर्गीय रामचरण जी गोंडा, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश से आकर बड़वाह,
मध्य प्रदेश में बसे ।
सन 1910 में जन्मे श्री देवीदास आर्य ने अपनी कर्मस्थली इंदौर को स्थायी निवास बनाकर चना, मुरमुरा के पुश्तैनी व्यवसाय को
नमकीन व्यवसाय में परिवर्तित कर इस क्षेत्र में अपना स्थान बनाया | जिसकी प्रसिद्धि इन्दौर ही नहीं सात समुंदर पार भी जानी जाती है |
महाशयजी के नाम से प्रसिद्ध श्री देवीदास आर्य ने अपने जीवन में कुश्ती कला में ख्याति अर्जित की ।
आर्य समाज से सम्पर्क में होने के बाद अपने आर्य धर्म के अनुयायी बन कर हिंदू समाज की रक्षा करते हुए अंग्रेजी शासन में जबरन
हिंदू युवतियों को मुस्लिम धर्म अपनाने या विवाह हेतु बाध्य करने मुस्लिमों से बेबस लड़कियों को मुक्त कराने में सदैव आगे रहे |
श्री देवीदास आर्य समाज के सभी वर्गों को यथा सहयोग मार्गदर्शन करते रहते थे । उनकी ख्याति समाज में ही नहीं इंदौर के गणमान्य
लोगों में भी होती थी | वर्ष 1984 में कांग्रेस व भाजपा द्वारा नगर निगम चुनाव में स्वयं टिकट देने की पहल की, जिसे आपने सविनय
अस्वीकार कर दिया | आपका राजनीति एवं सभी क्षेत्रों में सदैव प्रभाव बना रहा | इसी कारण श्री भाया कन्दोई को वर्ष 1994 में भाजपा
की ओर से नगर निगम का टिकट प्राप्त होने में सहयोग मिला | जो आगे जाकर इन्दौर नगर भाजपा के प्रमुख नेता के रूप में ख्याति
अर्जित की |
अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा के प्रान्तीय अध्यक्ष श्री देवीदास आर्य के कार्यकाल में उज्जैन, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर,
शिवानी आदि क्षेत्र की इकाई का गठन हुआ | आपके मार्गदर्शन में सामाजिक पत्रिका " वैश्य प्रकाश " का प्रकाशन सन् 1985 में हुआ,
जिसका संपादन श्रीकृष्ण कन्दोई ने किया । सामूहिक विवाह जैसे क्रांतिकारी कदम 1990 में मध्यदेशीय वैश्य समाज के 85 वर्षों में
पहली बार इसका आयोजन इन्दौर में किया गया | जो स्वर्ण युग की अपनी गाथा स्वयं कहता हैं |
सरल हृदय, आकर्षक व्यक्तित्व के धनी, तेजस्वी गजब के आत्मविश्वासी श्री देवीप्रसाद आर्य ने कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से 10 वर्षों
तक संघर्ष कर मौत को जीवन से छीन कर अपनी जिंदगी अंतिम दिनों तक अपने पैरों पर खड़े रहकर अनूठा जीवन दर्शन कराने वाले
आर्य जी साइकिल से भ्रमण के दौरान अचानक सामने आए बच्चे को बचाने में जो गिरे तो 4 दिन के संघर्ष के बाद 19 अगस्त 1990
को इस संसार से विदा हुए ।
आज उनके मार्गदर्शन से उन्नति पथ पर अग्रसर अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा राज्य शाखा मध्य प्रदेश अपने इंदौर में 43 वे
राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।