डाक्टर ऋचा योगमयी
Posted By: संपादक
On: 02-04-2017
Category: महत्वपूर्ण व्यक्ति
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वाणी में ओजस्विता , व्यवहार में कुशलता स्वर में मधुरता , अस्त्र-शस्त्र संचालन में दक्ष , योग विद्या में प्रवीण , वेद विदुषी ,
शस्त्र, शास्त्र एवं संगीत विद्या में महारत 27 वर्षीय आचार्य डाक्टर ऋचा योगमयी की चर्चा आकाशवाणी, दूरदर्शन, विभिन्न
समाचार पत्रों के अलावा एक समाज सुधारक के रूप में भी खूब हुई है |
डाक्टर ऋचा योगमयी खगड़िया (बिहार) स्थित वद्दुलाल व्यायामशाला और आर्य समाज खगड़िया के संस्थापक वीर गुरु
छोटेलाल जी की प्रपोत्री भारत भीम वीर गुरु शांति प्रकाश की पौत्री एवं कई स्वर्ण पदक प्राप्त तथा गुरु शांति हेल्थ एंड योग संस्था
खगड़िया के संस्थापक व संचालक श्री गुरु नरेन्द्र आचार्य एवं आर्यसमाज खगड़िया के प्रधान श्रीमती निर्मल ज्ञानमयी की पुत्री हैं |
ऋचा साहित्य अलंकार , संगीत प्रभाकर संगीत भास्कर चंडीगढ़ , एक्यूप्रेशर की शिक्षा श्रीलंका विश्वविद्यालय , योग शिक्षक जी०
एस० हेल्थ एंड योग इंस्टिट्यूट खगड़िया , स्नातक संस्कृति आर० एस० कालेज मुजफ्फरपुर तथा उक्त विश्वविद्यालय से ही वेद पर
अनुसन्धान कर विश्व को एक अनुपम शोध दिया कि वेद में भोतिक विज्ञानं की चर्चा है |
स्वाभाव से निर्भीक डाक्टर ऋचा योगमयी जब राम विलास की जन्मस्थली अलौली, खगड़िया बिहार में हरिजन महिलाओं से
सामूहिक बलात्कार की घटना घटी तो तमाम महिलाओं का आह्वान किया कि अपने अस्मत की रक्षा हेतु आप जिस हाथ में चूड़ी
पहनती हो उसी हाथ में छुरी भी रखे तभी अस्मत की रक्षा हो पायेगी | 12 जनवरी 1998 को स्वामी विवेकानंद जयंती पर रसड़ा ,
समस्तीपुर में मुख्या वक्ता के रूप में आमंत्रित की गयी | 16 वर्ष की उम्र में 1999 में कलकत्ता में महिला सम्मलेन की
अध्यक्षता की | एतिहिसिक भूमि बक्सर में आर्य वीरांगना की उपाधि से विभूषित की गयीं| शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहे बिहार के
नालंदा जिला में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान एवं बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष , प्रसिद्ध संयाशी स्वामी अग्निवेश ने
कहा की ऋचा बेटी! तुम्हारे अन्दर जो प्रतिभा है और समाज परिवर्तन की जो आग है उससे बहुत बड़ा काम होगा ऐसी मेरी हार्दिक कामना है |
13 जून 1999 को बिहार वैश्य सम्मलेन के पूर्व अध्यक्ष स्व० बृज बिहारी के पुण्य तिथि पर आयोजित महती सभा को संबोधित
करने के पश्चात बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद ने कहा की ऋचा भारतीय संस्कृति की वाहक है तथा ये बिहार की उमा
भारती एवं साध्वी ऋतम्भरा है |
बिहार राज्य आर्य महासम्मेलन धनबाद 1998 एवं अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2009 मुंबई में अपने ओजस्वी और वर्चस्वी
भासण से शानदार परचम लहराई - कोई कहता था की बिहार का नाम रोशन किया तो कोई कहता की देश का नाम रोशन किया |
सन 2002 में अन्तराष्ट्रीय गुरुकुल कांगड़ी विश्विद्यालय शताब्दी समारोह हरिद्वार अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन हैदराबाद 2008
में सम्मानित किया गया | 2009 में अंतरार्ष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन मथुरा में बिहार का प्रतिनिधित्व कर संबोधित किया 2008 के
2 जनवरी को कर्नल में 200 कुण्डीय महायज्ञ में ब्रह्मा के पद को सुशोभित किया | मध्यदेसिया वैश्य परिवार में एवं कुल गुरु
बाबा गनिनाथ के राष्ट्रीय, प्रान्तीय एवं जिला स्तरीय अनेक कार्यकर्मो एवं समारोहों में अपनी गरमायी उपस्थिति देकर अपने समाज
को हकझोरते हुए नयी चेतना का संचार करने का काम किया जैसे सिलीगुड़ी कोलकाता, गया पटना , देवरिया , कटिहार आदि
स्थानों पर | कम उम्र से ही ऋचा योग के कई आसनों की साधना के अलावा संगीत में रूचि रखती है, तथा लाठी, भाला, तलवार,
छुरा, राइफल अदि अस्त्र-शास्त्र का भी बखूबी चलाना जानती हैं|
आकाशवाणी, दूरदर्शन के साथ साथ हजारो मंचीय कार्यक्रम में प्रवचन एवं भासण सिर्फ बिहार ही नही बल्कि सम्पूर्ण भारत में दिया |
प्रतिभा की धनि आचार्य ऋचा हर विषयों पर भासण देने का सामान अधिकार रखती हैं, किन्तु विशेष कर राष्ट्रीयता, देश भक्ति,
समाज सुधार, नारी सशशक्ति करण पर अपना विचार बेबाक रखती हैं | मैंने इनके कई भासण सुने | भासण में तालियों की
गड़गड़ाहट काफी सुनी कभी इतना कारुणिक भासण कि श्रोताओं के आँखों से आंसू की अविरल धारा परवहित होने लगती है ,
कभी वीरू रस के भासन को सुनकर लोग आत्मोत्सर्ग करने पर उतारू हो जाते है|
चरित्र साधना की प्रतिमूर्ति डाक्टर ऋचा योगमयी के चेहरे पर हमेशा प्रशन्नतता की मुद्रा झलकती रहती है | वह कहती हैं की
नारी सर्वशक्तिमान होती है, एक ओर उसके हृदय में ममता का ममत्व भरा होता है तो दूसरा रूप दुर्गा का भी प्राप्त है | ऋचा जी
कहती है की नारियों की दशा एवं दिशा पर चिंतन करना तथा महिलाओं में जागरूकता भरकर अधिकार के प्रति जाग्रति लाना है
ताकि नर नारी में समानता का अधिकार बना रहे |
ये चार पीढ़ी से आर्य समाजी हैं | इनके परिवार में 150 वर्षों से कोई मांसाहारी , शराबी , दुराचारी नहीं है | संस्कार, स्वस्थ्य,
शिक्षा और स्वाभिमान से सराबोर समस्त स्वजन है , सदाचारी और सम्मानित परिवार हैं , इनके पर दादा गुरु छोटे लाल जी से
पूर्व राष्ट्रिपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद 1934 में मिलने आये | इनके दादा गुरु शांति प्रकाश जी की मूर्ति खगड़िया में स्थापित हैं |
डाक्टर ऋचा योगमयी बहुत दिनों तक विश्व हिन्दू परिषद् के दुर्गावाहिनी की जिला संयोजिका एवं संभाग प्रमुख के पद पर
कार्य किया | ये राष्ट्रीय क्रन्तिकारी कन्या परिषद् की राष्ट्रीय सचिव , बिहार राज्य वैश्य सभा के सचिव एवं आर्य समाज की राष्ट्रीय परवक्ता हैं |