राजर्षि किशन लाल मद्धेशिया
Posted By: अभय कुमार मध्देशिया
On: 24-03-2017
Category: महत्वपूर्ण व्यक्ति
Tags: बहराइच
प्रसिद्ध उद्योगपति धार्मिक कृत्यों के धनी एवं वैदिक अनुष्ठानों, संस्कारो से परिपूरित माननीय राम नारायण मद्धेशिया,
नानपारा, बहराइच के धर्मपत्नी के कुक्षि से, आषाढ़ कृष्ण, एकादशी, गुरुवार सम्बत 1975 विक्रमीय को जिस अलौकिक सर्वगुणों से
सम्पन्न, दिव्य शिशु जन्म धारण किया, उस मनोरम शिशु को श्री किशुन लाल मद्धेशिया कहते हैं |
श्री किशन लाल मद्धेशिया जन्म से ही अप्रितम, सुन्दर और सर्व गुणों के आगार थे | वे शनै शनै माता पिता के प्यार, पड़ोसियों के
स्नेह तथा परमेश्वर की अनुपमेय कृपा से बढ़ने लगे | बड़े होने पर वे नगर के अनेक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण किये,
किन्तु विद्यालय शिक्षा से उनके अनुभव का आगार वृहत्तर था | वे प्रकृति की गोद में समस्याओं को परखे , समाज के व्यापक
क्षेत्र में उससे सीखे, आर्य समाज के परिवेश में संस्कारित हुए और राजनितिक के रण स्थल में उसे क्रियान्वित किये |
उनके ज्ञान अनुभव और सूझ बूझ का स्वरुप उनके सांस्कृतिक ,सामाजिक एवं राजनितिक कार्यों में परिलक्षित होता है |
सन्तानें
माननीय किशन लाल जी मद्धेशिया बड़े होने पर अपने पिता के व्यापार एवं कृषि कार्य में विशेष रूचि अभिव्यक्ति करने
लगे | वे अपने व्यापार को उन्नति के सिखर पहुंचाए तथा कृषि में यशस्वी कार्य किये | माननीय किशन लाल जी मद्धेशिया को
श्री राजेंद्र प्रसाद , श्री वीरेंद्र प्रसाद तथा श्री अभय कुमार मद्धशिया नामक तीन पुत्र और श्रीमती सन्नो रानी तथा श्रीमती सुमन रानी
नामक दो पुत्रियाँ थी | सभी संस्कारित एवं योग्य हैं | इनकी धर्मपत्नी त्याग, तपस्या एवं साधना की प्रतिमूर्ति थी |
साहित्य एवं समाजोन्मुख सेवा
माननीय किशन लाल मद्धेशिया संवत 1995 विक्रमीय में साहित्यालंकार की उपाधि अर्जित किये तथा अपने को कहानी
लेखन एवं कविता के क्षेत्र में सम्यक रूप से नियोजित किये | माननीय किशन लाल जी मद्धेशिया द्वारा लिखित कहानियां और
कविताओं का संग्रह अनेक बार प्रकाशित हो चूका है | वे क्षेत्रिय कवि - सम्मेलनों में उत्साह से सम्मिलित होते थे तथा
प्रशंसा और वाह वाही के भाजन बनते थे | उनका काव्यमय भाषण लोगो को अधिक प्रभावित करता था |
माननीय किशन लाल मद्धेशिया संवत 1996 विक्रमीय में आर्य समाज से सक्रिय कार्यकर्ता बने | वे अपनी सेवा, कर्मठता
वागिमता और नेतृत्व की क्षमता से जनपद के अध्यक्ष, राज्य शाखा के सदस्य तथा आर्य समाज के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष
मनोनीत हुए | आर्य समाज में रहकर वे वैदिक संस्कृति का प्रचार - प्रसार किये , आडम्बर खंडन किये , धर्मांतरण को रोके ,
धर्मान्तरित बंधुओं का शुद्धिकरण करके पुनः उन्हें वैदिक धर्म में स्थापित कर सम्मान दिए | वे जातिवाद ऊँच नीच ,छुआछूत ,
अन्धविश्वास और दिखावापन के विरोधी थे |
माननीय किशन लाल मद्धेशिया का उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के नेताओ और क्रांतिकारियों से अच्छा सम्बन्ध था | वे सभी का
सहयोग समय समय पर करते थे | सन 1920 में उन्होंने पूज्यपाद महात्मा गाँधी के आह्वान पर विदेशी वस्त्रों का बहिस्कार किया
और उसकी होली जलाई | सन 1960 में भीषण बाढ़ से पीड़ित लोगो की अपनी जान हथेली पे लेकर रक्षा किये अन्न, वस्त्र, तेल,
दियासलाई, मकान बनाने की सामग्री देकर उनकी सहयता में महीनों लगे रहे | नेपाल के भेरी अंचल और उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती
क्षेत्रों के लोगो को उनके राहत कार्यों से अधिक सहयोग प्राप्त हुआ | वे एक निष्टावान कार्य-कर्ता के रूप में सामाजिक कार्यों में
सदेव संलग्न रहते थे | उनका कार्यक्रम अत्यंत व्यापक एवं बहुआयामी होता था |
विधान सभा की सदस्यता
माननीय किशन लाल जी मद्धेशिया आर्य समाज के पूर्ण निष्टावान कार्य-कर्ता के रूप में कार्य करते हुए राजनीती
से अछूते नहीं थे | वे भरतीय जन संघ के एक सफल निष्टावान कार्यकर्ता एवं नेता के रूप में सम्पूर्ण बहराइच जनपद में
बहु-विश्रुत थे | इसीलिए माननीय दीन दयाल उपाध्य , राष्ट्रीय महामंत्री ने उन्हें नानपारा विधान सभा से सन 1967 में टिकट प्रदान
किया | वे क्षेत्र से प्रचंड बहुमत से विजयी हुए | माननीय किशन लाल जी मद्धेशिया पांच वर्षो तक परमनिस्ठा के साथ जनता के
हितकारी कार्यों में संलग्न रहे और सही अर्थो में कार्य संपादन किया | विधान सभा के उपरांत ही लोक सभा का टिकट प्राप्त हुआ ,
किन्तु वे अपनी शारीरिक अस्वस्थता के कारण लड़ने से असहमति प्रकट कर दिये तथा लोक सभा चुनाव के उपरांत ही
श्रध्देय मद्धेशिया जी का निधन 20 जून 2000 को हो गया |
यश शरीरी
सम्प्रति स्वर्गीय किशन लाल जी मद्धेशिया नहीं है | स्वर्गारोहित हो गए हैं, नंदा दीप भुज गया है , किन्तु उनका यश
उनकी कृति तथा उनके द्वारा किये गए कार्य बिम्ब - प्रतिबिम्ब रूप में विधमान होकर उनके यश की गाथा गा रहे हैं | आज
उनकी यश की सुरभि नानपारा की गलियों में अपनी गंध बिखेर रही है |
स्वर्गीय रामनारायण सरस्वती विद्या मंदिर नानपारा , माननीय किशन लाल मद्धेसिया संस्कार - उद्यान नानपारा तथा भारत एवं
नेपाल की अनेक शिक्षण संस्थाए , धर्मशालाएं , कुएँ, तड़ाग, वापी एवं अनेक धार्मिक संस्थान उनके कृति के मूर्तमान प्रतिक हैं |
आइये, हम सभी समवेत स्वर में उनके यश के गीत गाये तथा अपनी श्रधांजलि उनके चरणों में अर्पित करें |
ओम् शान्ति: शान्ति: ||