स्व० हरिप्रसाद आर्य ( कान्दू )

Posted By: ओम प्रकाश गुप्ता

On: 04-03-2017

Category: महत्वपूर्ण व्यक्ति

Tags: मऊ

देश की आजादी के लिए अंग्रेजो से लोहा लेने वाले स्व० हरिप्रसाद आर्य का जन्म शहर स्थित मु० प्यारेपूरा में 7 अप्रैल सन् 1918 को एक साधारण परिवार में हुआ था | इनके पिता का नाम श्री गंगा प्रसाद जो शुद्ध देशी घी के व्यवसायी थे एवं माता का नाम सुदामी देवी था | हाई स्कूल एवं इंटर की परीक्षा शहर के जीवन राम इंटर कालेज, मऊ से उत्तीर्ण किया | वे हिंदी, संस्कृत,अंग्रेजी व उर्दू विषय के जानकार थे | अंग्रेजी विषय पर उनका वर्चस्व था | वे बचपन से ही होनहार थे | आप महर्षि स्वामी दयानन्द के एकेश्वरवादी, वैदिक विचार धारा एवं राष्ट्रवादी व्यक्ति थे | श्री हरिप्रसाद आर्य अपने विचारधारा के अनुकूल सन् 1941 में आर्य समाज, मऊ के मन्त्री पद पर रहे एवं डी०ए०वी० इंटर कालेज में अध्यापक के पद पर कार्य किया | वे शरीर से हष्ट-पुष्ट एवं लम्बे डीलडौल के थे | जिसकी वजह उनकी नियुक्ति मद्रास में एयरफोर्स में हो गयी | जिसके फलस्वरूप उनको अध्यापक की नौकरी छोड़नी पड़ी | किशोरावस्था में आते ही देश की आजादी के लिए उन्होने अंग्रेजो से लड़ने का संकल्प लिया |

पुलिस अधिकारीयों का मंशा वहा लाठी चार्ज एवं फायरिंग करने का था | एक बार पुनः जन समूह आगे बड़ने का प्रयास किया तो पुलिस के लाठी चार्ज से कई लोग घायल हो गये | जिसके फलस्वरूप विद्द्यार्थियो में रोष छा गया और ईट पत्थरो से स्टेशन की अलमारियो और शीशे को क्षतिग्रस्त कर दिया | इसके बाद वहां से क्षुब्ध होकर 25000 की संख्या में मौजूद जन-समूह जिला अस्पताल मैदान में आ गया | जहां एक सभा की गयी जिसमे नोटिफाईड एरिया फूकने एवं मऊ थाने पर अधिकार करने के प्रस्ताव किया गया |

श्री हरिप्रसाद गुप्ता अपने साथियों एवं समस्त जन समूदाय के साथ थाने पर पहुचे इसके पश्चात श्री हरिप्रसाद गुप्ता ने पुलिस को सम्बोधित कर के अपने भाषण से सहयोग करने की अपील की | चुकिं उस समय थाने पर सशत्र पुलिस काफी संख्या में मौजूद थी | इसलिए वहां किई कांड करना उचित नही था | इसलिए वहां से जन समूह नोटिफाईड एरिया की ओर बढ़ गया | 14 अगस्त को दिन में 3:00 बजे जब जुलूस मऊ नोटिफाईड एरिया के कार्यालय पर पहुचा तो कार्यालय फुकने की चर्चा सुन कर कर्मचारी बहुत घबराए और श्री गुप्ता एवं अन्य कार्यकर्ता जो वहां मौजूद थे उनसे अपना निजी सामान हटा लेने की मांग की | कार्यकर्ताओं ने उनको अपना सामान हटा लेने की इजाजत दे दी | इससे कर्मचारी बहुत प्रसन्न हुए | इसके पश्चात नोटिफाईड एरिया फूकने का कार्य शुरू हो गया |

कार्यक्रम के अनुसार 15 अगस्त को दिन में 11 बजे डी०ए०वी० स्कूल के पास से जुलूस बाज़ार होते हुए आगे थाने की ओर बढ़ा, जैसे ही जुलूस अभी रौजा के पास ही पहुचा कि पुलिस ने जुलूस को आगे जाने रोका, लेकिन इसकी जरा भी परवाह किए बगैर क्रन्तिकारी आगे की ओर बढ़े, और थाने दार से कहे कि " राज्य हमारा है तुम हमारे साथ पैदल चलो " इतना कहते ही थानेदार सचमुच घोड़े से उतर कर पैदल चलने लगा फिर भी तनिक भी परवाह न कर जुलूस आगे कि ओर बढ़ता ही गया | उसी बीच डी०एस०पी० ने रेलवे बाउंड्री से आगे थाने कि ओर जुलूस जाने से रोक दिया | श्री हरिप्रसाद गुप्ता सिन्धी कालोनी के पास अपने इन्कलाबी भाषण से अपने साथियों और जनामूह का हौसला बुलन्द कर रहे थे कि इतने में पुलिस का लाठी चार्ज प्रारम्भ हो गया | इसके प्रतिशोध में वहां कि जनता ने ईट पत्थरों से जवाब दिया | घटना स्थल पर मौजूद परगना अधिकारी एवं डी०एस०पी० ने ने गोली चलाने का आदेश दे दिया | गोली लगने से घटना स्थल पर ही दु:खी राम शहीद हो गये एवं कालिका प्रसाद घायलावस्था में उपचार के उपरांत स्वर्गवासी हो गये | क्रांतिकारी जवानो कि सह्रदयता एवं ईश्वर की ऐसी कृपा ही रही की पुलिस की 8-10 राउंड फायरिंग हवाई हो गयी, यदि ऐसा न हुआ होता तो वहां हजारों की संख्या में लाशे बिछ गयी होती |

15 अगस्त के गोली कांड के बाद 17 अगस्त को मिलिट्री की एक टुकड़ी हार्डी नाम का अंग्रेज अधिकारी के संरक्षण में मऊ आगयी | उसके आतंक को मऊ की निरपराध राहगीरों को झेलना पड़ा | उसके उपरांत मऊ नगर के चौक पर एक सूची टांग दी गयी कि श्री हरिप्रसाद गुप्ता एवं उनके कुल 17 साथियों का नाम देकर यह लिखा था कि यह लोग तुरंत थाने में हाजिर हो, अन्यथा उनका मकान लूट एवं फूक दिया जायेगा | इस कठीन समय में श्री गुप्ता वेश बदल कर दाढ़ी मुछ बढ़ा कर खेत खलियान,जंगल झाड़ी,रिश्तेदारों के वहां एवं अज्ञातवास में रह कर पुलिस कि नजरो से दूर रहे | बाद में तीन व्यक्तियों को छोड़ कर कुल 14 लोग जिनमे श्री गुप्ता को नोटिफाईड एरिया के अग्निकाण्ड के मुकदमे से बेदाग छोड़ दिया गया | अन्य साथियों को जेल कि सजा सुनाई गयी | कुछ दिनों पश्चात हरह प्रसाद गुप्ता अदालत में हाजिर होकर अपनी गिरफ्तारी दे दीये और केस में शामिल कर लिए गए और जेल चले गये |

स्वतन्त्रता आन्दोलन के उपरांत राज्य सरकार द्वारा घोषित सहायता भूमि वगैरह को आज के हिसाब से करोड़ो रूपये कि सम्पति थी | श्री हरिप्रसाद से स्वभाव से स्वभावमानी होने के कारण लेने से इंकार कर दिये | देश कि आजादी के बाद स्वास्थ्य ठीक न रहने एवं आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत न रहने के कारण मऊ नगर स्थित पावर हाउस में लिपिक के पड़ पर नौकरी करली | बहुत दिनो तक वे विद्दुत विभाग की नौकरी करके कार्यालय अधिक्षक के पद पर कार्य किया | आपका पूरा परिवार शिक्षित एवं शिक्षा से जुड़ा है | श्री हरिप्रसाद गुप्ता के परिवार में उनकी पत्नी एवं 5 पुत्र,पुत्री पुत्र वधु, पौत्र सभी राज्य केन्द्र सरकार की नौकरी एवं अध्यापन कार्य में रत् है | अवकाश ग्रहण करने से पूर्व ही श्री गुप्ता का ह्रदया गति रुक जाने एवं असमायिक निधन के कारण 27 नवम्बर 1971 को आप स्वर्गवासी हो गये |

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