श्री अजय कुमार गुप्त 'लल्लू जी'

Posted By: Hemraj Maddeshia

On: 27-07-2021

Category: हमारे विधायक

तमकुही रोड, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस फिर से वापसी की कोशिश में है। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष का नाम घोषित कर दिया है। यूपी की प्रभारी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले अजय कुमार लल्लू को कांग्रेस ने यूपी में अपनी डामाडौल होती नैया का खेवैया बनाया है।

यूपी कांग्रेस की नई समिति में पिछली समिति की अपेक्षा काफी कम सदस्य हैं। पिछली समिति में जहां लगभग 500 सदस्य थे, वहीं नई समिति में महज 40 से 45 सदस्य हैं। प्रदेश की हर राजनीतिक गतिविधियों और घटनाओं पर नजर रखने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपनी जो टीम तैयार कर रही हैं, उसमें युवाओं की बड़ी भागीदारी दिख रही है। नए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू 40 साल के हैं और उनकी टीम के सदस्य भी ज्यादातर 40 से 45 साल की उम्र के ही हैं। ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस की युवा टीम क्या पार्टी का खोया हुआ जनाधार वापस दिला पाएगी।

अजय, कुशीनगर की तुमकुहीराज विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। साल 2012 में पहली बार विधायक चुने गए थे तब उन्होंने भाजपा के नंद किशोर मिश्रा को 5860 वोटों से हराया था, जिसके बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ती चली गई।

साल 2017 में भाजपा और मोदी लहर में भी तमकुहीराज की जनता ने उन्हें ही चुना। उन्होंने न केवल अपनी सीट बचाई, बल्कि 2012 चुनाव से भी ज्यादा बड़े अंतर से भाजपा प्रत्याशी को हराया। सामाजिक न्याय के मुद्दे पर हमेशा रहे मुखर अजय पूर्वी उत्तर प्रदेश से आते हैं और पिछड़ी कही जाने वाली कानू जाति से ताल्लुक रखते हैं। वह कांग्रेस के पूर्वी यूपी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के बेहद करीबी माने जाते हैं और उनके साथ उत्तर प्रदेश के हर दौरे में नजर आते हैं।

वह सामाजिक न्याय के मुद्दे पर मुखर भी हैं और यूपी में हर मसले को उ ाने को लेकर तत्पर रहते हैं। ऐसे में कांग्रेस को अजय से काफी उम्मीदे हैं। छात्र संघ अध्यक्ष रहे, चुनाव लड़े, हारे, मजदूर बने और फिर विधायक बने अजय कुमार लल्लु एक स्थानीय कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं। वह शुरू से जमीनी आंदोलनों में बेहद सक्रिय दिखते रहे हैं। कई बार उनपर पुलिस की ला ियां भी बरसीं। लोग उन्हें 'धरना कुमार' भी कहा करते हैं।

विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले अजय को पहली बार हार नसीब हुई। चुनाव हारने के बाद आजीविका चलाने के लिए अजय मजदूरी करने दिल्ली पहुंचे और दिहाड़ी पर काम किया। इन दिनों में मजदूरी के दौरान भी क्षेत्र की जनता से संपर्क में रहे।

वह फिर से कुशीनगर लौटे और सड़कों पर संघर्ष करने लगे। साल 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो उन्होंने भाजपा के नंद किशोर मिश्रा को 5860 वोटों से हरा दिया और पहली बार विधायक बने। 2017 में वह दूसरी बार विधायक बने।

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