स्व० विश्वनाथ प्रसाद गुप्त

Posted By: धर्मचन्द गुप्त

On: 14-01-2014

Category: महत्वपूर्ण व्यक्ति

Tags: मऊ

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानी तथा समाज सेवी श्री विश्वनाथ प्रसाद गुप्त के व्यक्तित्व में समस्त उदात्त मानवीय भावनओं के साथ- साथ देश प्रेम की भावना समाहित है | आप अमिला टाउन की एक महान विभूति है |

मऊ जनपद में अमिला टाउन अवस्थित है | यह जनपद का महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक स्थल है | इसी टाउन के सम्मान में मध्यदेशीय वैश्व केन्द्र में 4 मई सन् 1907 ई० में श्री गुप्त जन्म हुआ | आपके पिता का नाम श्री द्वारिका राम तथा माता का नाम श्रीमती लक्ष्मीना देवी है | आपकी प्रारम्भिक शिक्षा 1921 में महात्मा गांधी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन में राष्ट्रीय शिक्षा हेतु स्थानीय टाउन की स्थापित राष्ट्रीय विद्दालय में हुई थी जिसमे प्रारम्भिक स्तर तक की शिक्षा हिन्दी माध्यम से दी जाती थी | आप जब 15 वर्ष के हुए तब आपके पिता श्री द्वारिका राम का देहावसान हो गया | जिसके कारण पारिवारिक दायित्वों को पूर्ण रूप से संभालना पड़ा | पैतृक व्यवसाय हलवाईगिरी से जीविकोपार्जन के साथ-साथ सामाजिक, राजनितिक एवं समाज सेवा में रूचि लेने लगे | टाउन के पण्डित अलगू राय शास्त्री, ब्रम्हदेव राय, रामचन्द्र राय तथा मुंसफ अली कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्पर्क में आ जाने के फलस्वरूप राजनीति तथा समाज सेवा रूचि और प्रगाढ़ हो गयी | सन् 1931 ई० में श्रधेद्य श्री सीताराम अस्थाना के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ हुआ | जिसमे आपने सक्रिय भाग लिया | इसके पश्चात् राष्ट्रीय स्तर पर जो भी आन्दोलन अथवा कार्यक्रम कांग्रेस की ओर से प्रारम्भ किया गया उसमे सक्रिय भूमिका निभाई | बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक में " करो या मरो ", अंग्रेजो भारत छोडो का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित हुआ | कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की गिरफ्तारी के पश्चात ९अगस्त १९४२ ई० को सम्पूर्ण राष्ट्र में कोलाहल मच गया कि सरकरी अर्द्धसरकारी कार्यालयों में तोड़-फोड़ की योजना तैयार किया | तद्नुरूप टाउन एरिया, पोस्ट आफिस तथा रेलवे स्टेशन आदि कार्यालयों के सभी अभिलेख आदि जलाकर नष्ट कर दिया | तार काटकर जन सम्पर्क भंग कर दिया गया | आपने इसमे सक्रिय योगदान किया |

एक वर्ष तक आपने घोर कष्टमय फरारी जीवन व्यतीत किया | तत्पश्चात 1945 में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें आजमगढ़ जिला कारागार में रखा गया | जहा विचाराधीन अभियोग के सिलसिले में एक वर्ष तक जेल में यातनापूर्ण जीवन व्यतीत करना पड़ा | साक्ष्य के अभाव में अभियोग से मुक्त कर दिया गया | भूमिगत दशा में न्यायालय में उपस्थिति न होने के कई बार कुर्की हुई |

आर्य समाज आन्दोलन में भी आपका सक्रिय योगदान है | पिछले 50 वर्षों से आप स्थानीय आर्य समाज के महामंत्री है | स्वजातीय उन्नयन के साथ-साथ जाती-सम्प्रदाय का भेद-भाव भूलकर सभी निर्धन एवं असहाय व्यक्तियो की सेवा तथा सहायता करना आपके जीवन का आदर्श एवं लक्ष्य है | आप अपने आप में स्वयं एक संस्था है आज 70 वर्ष पूर्व टाउन में आपकी प्रेरणा, प्रोत्साहन तथा सहयोग से एक " दीन रक्षक दल " नामक संस्था की स्थापना हुई | संस्था का कार्य उनके नाम से स्पष्ट हो जाता है | आप इसके सम्मनित पदाधिकारी है | इनके अनुज स्व० नन्दन प्रसाद नगर पंचायत अमिला के अध्यक्ष पद पर 1952 से 1976 के जीवन के अंतिम क्षण तक रहे |

श्री विश्वनाथ प्रसाद जी बाल्याकाल से ही मध्यदेशीय वैश्व अनाथाश्रम समिती के सदस्य रहे थे | आप सन्त गणिनाथ मंदिर, देवकली देवलास, मऊ के निर्माणकर्ता एवं स्थायी संरक्षक है | अखिल भारतीय मध्यदेशीय (कान्दू) वैश्व सभा के नगर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के सभी कार्यक्रमों में आप सक्रीय भाग लेते है | आप शाताब्दी समारोह वाराणसी में मुख्य अतिथि बनाये गये थे |

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